तू मुझमें आज भी बाकी है
तू मुझमें आज भी बाकी है,
ये खुशबू, ये परछाईं बनकर,
ये रातें, ये तन्हाई बनकर,
ये ख्वाब, ये अंगड़ाई बनकर,
ये ज़माने में रुसवाई बनकर,
तू मुझमें आज भी बाकी है|
मैंने सोचा था की तुझे भुला दूंगा,
तेरी तस्वीर,तेरे खत, हर याद जला दूंगा|
तू फिर ख्वाब में आएगी,
ये ज़ख्म फिर ताज़ा कर जाएगी,
ये न सोचा था कभी,
तू किश्तों में दर्द चुकायेगी|
तू मुझमे आज भी बाकी है,
की ये नयन तुझे फिर तलाशते हैं,
तू मुझमे आज भी बाकी है,
की हर लम्हा ख़ल्वत में गुज़रते हैं,
तू मुझमे आज भी बाकी है,
की तेरी खुशबू फ़िज़ाओं में उड़ती है,
तू मुझमे आज भी बाकी है,
की अश्कों में तेरी यादें उमड़ती हैं|
हाँ! मेरे साथ न सही,
पर तू आज भी कहीं तो है,
इन ख़यालों में, इस दिल में,
तू आज भी यहीं तो है,
तेरी ज़ुल्फ़ों की ये खुशबू,
मेरे सिरहानों में पाशाँ है,
और लिफाफे में भेजे ये ज़ख्म तेरे
आज भी तरो-ताज़ा हैं|
तू मुझमे आज भी बाकी है,
दिल पर गहरा ज़ख्म बनकर,
कोई खामोश नज़्म बनकर,
मेरी आखिरी चाहत बनकर,
एक अधूरी मुहब्बत बनकर,
तू मुझमे आज भी बाकी है….