कोई रोता है

For the unpredictable paths of life, Kalamkash wrote a very beautiful ghazal named 'कोई रोता है' which is a must-read for all Urdu lovers.

कोई रोता है खिलखिलाकर,

कोई हँसता है आँखे छुपाकर। 

कोई छुपता है दर्द किसिस से,

हाल-ए-दिल बताकर।

कोई करता नफरत किसीसे, 

बेशुमार मुहब्बत जताकर।

कोई पूछे है हाल किसीका,

ज़ख्मों पर नमक लगाकर। 

कोई किसीकी चाहत चाहता,

अपने अरमान दबाकर।

कोई दिलों से खेले है,

मुहब्बत का खेल बताकर।

कोई खड़ा है भीड़-भाड़ में,

खुदको गले लगाकर। 

क्या-क्या कराती ज़िन्दगी हमसे,

कितना पागल बनाकर। 

-क़लमकश