हमें आप फिरसे बुला लीजे जानाँ

हमें आप फिरसे बुला लीजे जानाँ,

करे फैसले क्या, बता दीजे जानाँ।

है तारीक अब भी भला क्यूँ ये कमरा,

ज़रा इसमें दीये जला दीजे जानाँ।

फिर एक आम सी बात पर होगा झगड़ा,

सो, सारे तअल्लुक भुला दीजे जानाँ।

मुझे है ग़म-ए-ज़ीस्त से खौफ़ सा कुछ,

मुझे आप इससे बचा लीजे जानाँ।

तरावत जो दीदों में है, आप उससे,

ये तरतीब फिरसे सजा लीजे जानाँ।

ये जो रम्ज़ है आपकी नज़रों में ना,

इसे आप सबसे छुपा लीजे जानाँ।

गुज़रने लगा हूँ मैं अपनी हदों से,

ज़रा मुझपे तोहमत लगा दीजे जानाँ।

-क़लमकश