हर दम के साथ लबों से इक आह निकलती है
हर दम के साथ लबों से इक आह निकलती है, आँखें नम कैसे हैं, सासें क्यों जलती हैं। करता हूँ...
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ऐ शहनशाह-ए-आस्माँ औरंग
ये क़िता "ऐ शहनशाह-ए-आस्माँ औरंग" आपने गुलज़ार साहब द्वारा रचित TV show या उनकी किताब “मिर्ज़ा ग़ालिब” में ज़रूर पढ़ा...
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ग़ज़ल- पीता नहीं मगर मुझे आदत अजीब है
पीता नहीं मगर मुझे आदत अजीब है, कहता हूँ मैं जहाँ से मुहब्बत अजीब है। जो रोग दिल को है...
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ग़ज़ल- जानिब-ए-’अदम को मैं बढ़ चला जहाँ को छोड़
जानिब-ए-’अदम को मैं बढ़ चला जहाँ को छोड़, और सोचता हूँ मैं हूँ कहाँ जहाँ को छोड़। जो गुजरने वाले...
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पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ। चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥ चाह नहीं, सम्राटों...
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हमें आप फिरसे बुला लीजे जानाँ
हमें आप फिरसे बुला लीजे जानाँ, करे फैसले क्या, बता दीजे जानाँ। है तारीक अब भी भला क्यूँ ये कमरा,...
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राम चलो वनवास चलें
राम चलो वनवास चलें, लोग तुम्हें अब ना भजते। रीत यहाँ कि नहीं अब वो, छोड़ गये तुम थे तब...
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ग़ज़ल- एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो
एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो, राहत जो नहीं रोग से गर फिर तो कज़ा हो। मैं जानता...
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दोहे: हिंदी काव्य से एक छोटा सा परिचय
दोहे हिंदी काव्य में सबसे प्रचलित छंदों में से एक है। हालांकि नए कवियों के आने के बाद दोहों का...
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गली का कुत्ता
सुबह से यह कुत्ता इसी गली के चक्कर काट रहा है। कोई मूर्ख गाड़ी चढ़ा गया है, तबसे बेचारा यूँ...
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सारी बातें भूल जाना फारिहा – जॉन एलिया
जॉन एलिया साहब की नज़्मों/ग़ज़लों में कई बार एक ज़िक्र मिलता है फारिहा के नाम का। कहते हैं के फारिहा...
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है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से
है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से, मुहब्बत है शुरू होती यहीं से। तबीयत आज कुछ अच्छी नहीं है, है...
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रंज-ओ-सितम से दूर
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा, कोई ख़लिश ना हो जहाँ, कोई ख़लल ना हो जहाँ, सब रंजिशों...
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उस आंगन का चांद
उस-आंगन-का-चांद (us aangan ka chaand) is a very beautiful nazm composed by the very famous Pakistani poet ibn-e-insha.
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