तज़्किरे

तज़्किरे- महक रही हैं ये सबायें, खिल उठे है गुंचे फिर,मचल रहा है फिर चमन, मचल रही हैं इशरतें,बहार बन के आयी हैं निशात ज़िन्दगी में फिर…