दिल-ए-मुज़्तर, दिल-ए-नाशाद, ये नाराज़गी कैसी

दिल-ए-मुज़्तर, दिल-ए-नाशाद, ये नाराज़गी कैसी,

न रंज हो, ना सितम, ना ठोकरें तो ज़िंदगी कैसी।