दिल-ए-मुज़्तर, दिल-ए-नाशाद, ये नाराज़गी कैसी March 9, 2024March 9, 2024 KalamKash दिल-ए-मुज़्तर, दिल-ए-नाशाद, ये नाराज़गी कैसी, न रंज हो, ना सितम, ना ठोकरें तो ज़िंदगी कैसी।