शहर

“ये शहर की चकाचौंध आँखों में बड़ी खलती है,ये शहर शायद खा रहा है मुझे।” ‘शहर’ is a very beautiful Nazm written by Kalamkash.

परिचय

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह “दिनकर” द्वारा रचित यह कविता ‘परिचय’ उनके प्रसिद्ध महाकाव्य ‘हुंकार’ में से ली गयी है |