रंज-ओ-सितम से दूर

बला

रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,

कोई ख़लिश ना हो जहाँ, कोई ख़लल ना हो जहाँ,

सब रंजिशों से दूर हों, सब बंदिशों से दूर हों,

कोई कशिश ना हो जहाँ, कोई जदल ना हो जहाँ।