अगर तुम दिल हमारा ले के पछताए तो रहने दो
अगर तुम दिल हमारा ले के पछताए तो रहने दो, न काम आए तो वापस दो जो काम आए तो…
अगर तुम दिल हमारा ले के पछताए तो रहने दो, न काम आए तो वापस दो जो काम आए तो…
मैं इसी विचार में निमग्न सोचती रही, कि,
बोल दूँ दबी हुई, पुकार लूँ तुम्हें अभी।
किंतु ये न हो सका, मिला मुझे यही वियोग,
और यूँ दबे रहे अपूर्ण स्वप्न वो सभी।।
शत-शत बाधा-बंधन तोड़,
निकल चला मैं पत्थर फोड़।
प्लावित कर पृथ्वी के पर्त्त,
समतल कर बहु गह्वर गर्त्त,
दिखला कर आवर्त्त-विवर्त्त,
आता हूँ आलोड़ विलोड़,
निकल चला मैं पत्थर फोड़।
तेरे पैरों चला नहीं जो धूप छाँव में ढला नहीं जो वह तेरा सच कैसे, जिस पर तेरा नाम नहीं?