तेरा नाम नहीं
तेरे पैरों चला नहीं जो धूप छाँव में ढला नहीं जो वह तेरा सच कैसे, जिस पर तेरा नाम नहीं?
Get inspiration from the great legendary writers of Urdu, Hindi and English. In this category, we will read the great writings from the great pens of Dinkar, Ghalib, Shakespeare, Jaun Elia, Gulzar, John Keats, Robert Frost and much more.
तेरे पैरों चला नहीं जो धूप छाँव में ढला नहीं जो वह तेरा सच कैसे, जिस पर तेरा नाम नहीं?
मिरे दिल की राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा न दे
ये चराग़ फिर भी चराग़ है कहीं तेरा हाथ जला न दे
नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे
ये क़िता “ऐ शहनशाह-ए-आस्माँ औरंग” आपने गुलज़ार साहब द्वारा रचित TV show या उनकी किताब “मिर्ज़ा ग़ालिब” में ज़रूर पढ़ा या सुना होगा जो ग़ालिब ने आखिरी मुग़ल बादशाह को अपने हालात का बखान करते हुए लिखा था। वैसे तो यह क़िता आप रेख़्ता पर उर्दू में पढ़ सकते हैं पर क्योंकि बहुत से लोगों को उर्दू पढ़नी नहीं आती है, इसलिए मैनें इसका देवनागरी में अनुवाद कर दिया। साथ ही कुछ कठिन शब्द हैं जिनका मतलब मैनें नीचे दे दिया है।
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ में देना तुम फेंक॥
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।
जिस पथ जावें वीर अनेक॥
जॉन एलिया साहब की नज़्मों/ग़ज़लों में कई बार एक ज़िक्र मिलता है फारिहा के नाम का। कहते हैं के फारिहा उनके तसव्वुर में जीने वाली उनकी वो माशूका थी जिसने उनकी शायरी में वो दर्द, वो कसक पैदा की। उसी फारिहा के नाम जॉन एलिया साहब की ये नज़्म भी है।
ब-नाम फारिहा –
उस-आंगन-का-चांद (us aangan ka chaand) is a very beautiful nazm composed by the very famous Pakistani poet ibn-e-insha.
तुम ने मुझको लिखा है is a very popular nazm by the famous Pakistani poet Jaun Elia. फरिहा निगारीना, तुम ने मुझको लिखा है,मेरे खत जला…
Rasa Chughtai was a famous Pakistani Urdu poet known for ‘Zanjeer-e-hamsaigi’ and ‘tere aane ka intezaar raha’. Here are 10 famous Sher(couplets) of him.
‘है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और’ is the most famous Ghazal of the most famous urdu poet Mirza Ghalib.
मुझसे पहली सी मुहब्बत is a famous nazm of legendry Urdu Poet Faiz Ahmed Faiz.