रंज-ओ-सितम से दूर
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
कोई ख़लिश ना हो जहाँ, कोई ख़लल ना हो जहाँ,
सब रंजिशों से दूर हों, सब बंदिशों से दूर हों,
कोई कशिश ना हो जहाँ, कोई जदल ना हो जहाँ।
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
कोई ख़लिश ना हो जहाँ, कोई ख़लल ना हो जहाँ,
सब रंजिशों से दूर हों, सब बंदिशों से दूर हों,
कोई कशिश ना हो जहाँ, कोई जदल ना हो जहाँ।
तज़्किरे- महक रही हैं ये सबायें, खिल उठे है गुंचे फिर,मचल रहा है फिर चमन, मचल रही हैं इशरतें,बहार बन के आयी हैं निशात ज़िन्दगी में फिर…
उस-आंगन-का-चांद (us aangan ka chaand) is a very beautiful nazm composed by the very famous Pakistani poet ibn-e-insha.
बला-ए-अज़ीम दो आँखें,उन आँखों में खुमारी,उस खुमारी में इश्क़,उस इश्क़ में दर्द,उस दर्द में यादें,उन यादों में मंज़र…
तुम ने मुझको लिखा है is a very popular nazm by the famous Pakistani poet Jaun Elia. फरिहा निगारीना, तुम ने मुझको लिखा है,मेरे खत जला…
दिल-ए-मुज़्तर, दिल-ए-नाशाद, ये नाराज़गी कैसी,
न रंज हो, ना सितम, ना ठोकरें तो ज़िंदगी कैसी।
Mir Taqi Mir was an Urdu poet known for his legacy of love and betrayal poetries. Here are two famous ghazals of ‘Mir’.
तू मुझमें आज भी बाकी है is a very beautiful Urdu Nazm composed by Kalamkash. Which describes the core of a broken lover’s heart.
कौन है वो जिससे पिछली शाम मिले, क्या कोई अनजान शख्स? या तुम्हारी तन्हाई? “तन्हाई” is an Urdu Nazm beautifully composed by Kalamkash.
पहलू(pehlu) is a nazm from my diary based on the different faces and parts of life, sometimes we suffer in life, but later we all learn a good lesson from it.