परिंदे September 13, 2024September 13, 2024 KalamKash परिंदे उड़ा नहीं करते आज-कल, यूँ ही घोंसलों में मुन्तज़िर बैठे रहते हैं, तकते रहते हैं इक राह, कि कब, कोई, आये जिसके सहारे से ज़िन्दगी शुरू हो..
अंधेरा October 12, 2023October 13, 2023 KalamKash अंधेरा is a beautiful Nazm composed by Kalamkash, which tells us about the role of society in an incomplete love story.