गरल July 10, 2024July 10, 2024 KalamKash नत- मस्तक हो वंदन करता हूँ उसको, वह गरल कि जो हृदय में है फलता । कालजयी भी जिसे, शत-शत शीश नवाए, वह, सदा जो अहंकार – मद में पलता ।
शहर October 31, 2023November 2, 2023 KalamKash “ये शहर की चकाचौंध आँखों में बड़ी खलती है,ये शहर शायद खा रहा है मुझे।” ‘शहर’ is a very beautiful Nazm written by Kalamkash.