क्रांतिवीर
बलिदान करे थे जिन वीरो ने,
सर इस वतन की भूमि पर,
भूल गए क्यों आज उनहें हम,
मुस्काने थी जो सूली पर।
लड़ गया देश के लिए वो,
वो भी भरी जवानी में,
एक बार अपनी उम्र ना देखी,
उस साहस की चिंगारी ने।
उसका कैसे करु शुक्रिया,
रानी जो कहलाई थी,
मार गिराकर अंग्रेजी को,
झाँसी की शान बढ़ाई थी।
बाघ सा सहस था सीने में,
जतिन्द्र उसे कहते थे,
जोड़ो उनको भी इतिहास में,
जो आजादी को चाहते थे।
मंगल पांडे, सूर्यसेन,
और कितने क्रांतिकारी थे,
सीना तान खड़े थे जो,
भारत की चिंगारी थे।
नजाने कितने ऐसे वीर थे,
जो जले थे इस आग में,
शीश केट थे जिन्के,
स्वतंत्रता की एक आस में।
वक़िफ़ कराओ देश को,
इन सबके बालिदान से,
या फ़िर गीत गाओगे तुम,
की अकबर, बाबर महान थे।
-क़लमकश