शहर

"ये शहर की चकाचौंध आँखों में बड़ी खलती है,ये शहर शायद खा रहा है मुझे।" 'शहर' is a very beautiful Nazm written by Kalamkash.

सुना है तुम्हारे शहर में आज 

फिर माहौल तंग है,

फिर कोई जोड़ा हंसों का 

बेचैन भटकता है,

फिर कुछ मैखाने वीराँ हो गए,

फिर यादें किसीकी फूल बन चुकी है,

फिर खुशबु उनकी फ़िज़ाओं में बिखरती है,

और रुलाती है किसीको बेवजह,

सुना है तुम्हारे शहर में आज

फिर माहौल तंग है। 

-क़लमकश