बला

बला-ए-अज़ीम दो आँखें,उन आँखों में खुमारी,उस खुमारी में इश्क़,उस इश्क़ में दर्द,उस दर्द में यादें,उन यादों में मंज़र…

तन्हाई

कौन है वो जिससे पिछली शाम मिले, क्या कोई अनजान शख्स? या तुम्हारी तन्हाई? “तन्हाई” is an Urdu Nazm beautifully composed by Kalamkash.

पहलू

बहका-बहका मन, तन्हा दिल, उदास तन,ज़िन्दगी का इक पहलू ये भी है, कहते हैं बहुत से पहलू हैं इस ज़िन्दगी के,  देखो तो हज़ारों चेहरे हैं…