स्वार्थ

स्वार्थ वह उग्र भाव है जो दुर्बल से दुर्बल व्यक्ति को भी बलवान बना देता है। इस भाव के कारण व्यक्ति में वह सबकुछ करने का बल…

परिचय

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह “दिनकर” द्वारा रचित यह कविता ‘परिचय’ उनके प्रसिद्ध महाकाव्य ‘हुंकार’ में से ली गयी है |