है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से
है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से,
मुहब्बत है शुरू होती यहीं से।
तबीयत आज कुछ अच्छी नहीं है,
है शायद हाल ये तेरी कमी से।
है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से,
मुहब्बत है शुरू होती यहीं से।
तबीयत आज कुछ अच्छी नहीं है,
है शायद हाल ये तेरी कमी से।
दो सुलगते दिल is a short Nazm beautifully composed by Kalamkash. Which describes the silence between two hearts.
ख़ल्वत is a lovely Ghazal composed by Kalamkash, which shows a true lover’s heart while missing his soulmate.
अंधेरा is a beautiful Nazm composed by Kalamkash, which tells us about the role of society in an incomplete love story.