गरल
नत- मस्तक हो वंदन करता हूँ उसको,
वह गरल कि जो हृदय में है फलता ।
कालजयी भी जिसे, शत-शत शीश नवाए,
वह, सदा जो अहंकार – मद में पलता ।
नत- मस्तक हो वंदन करता हूँ उसको,
वह गरल कि जो हृदय में है फलता ।
कालजयी भी जिसे, शत-शत शीश नवाए,
वह, सदा जो अहंकार – मद में पलता ।
For the unpredictable paths of life, Kalamkash wrote a very beautiful ghazal named ‘कोई रोता है’ which is a must-read for all Urdu lovers.
अंधेरा is a beautiful Nazm composed by Kalamkash, which tells us about the role of society in an incomplete love story.