पहलू
बहका-बहका मन, तन्हा दिल, उदास तन,ज़िन्दगी का इक पहलू ये भी है, कहते हैं बहुत से पहलू हैं इस ज़िन्दगी के, देखो तो हज़ारों चेहरे हैं…
बहका-बहका मन, तन्हा दिल, उदास तन,ज़िन्दगी का इक पहलू ये भी है, कहते हैं बहुत से पहलू हैं इस ज़िन्दगी के, देखो तो हज़ारों चेहरे हैं…
“ये शहर की चकाचौंध आँखों में बड़ी खलती है,ये शहर शायद खा रहा है मुझे।” ‘शहर’ is a very beautiful Nazm written by Kalamkash.
For the unpredictable paths of life, Kalamkash wrote a very beautiful ghazal named ‘कोई रोता है’ which is a must-read for all Urdu lovers.