पहलू

बहका-बहका मन, तन्हा दिल, उदास तन,ज़िन्दगी का इक पहलू ये भी है, कहते हैं बहुत से पहलू हैं इस ज़िन्दगी के,  देखो तो हज़ारों चेहरे हैं…

शहर

“ये शहर की चकाचौंध आँखों में बड़ी खलती है,ये शहर शायद खा रहा है मुझे।” ‘शहर’ is a very beautiful Nazm written by Kalamkash.